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Vantara zoo: अरावली जंगल सफारी वनतारा से प्रेरित हरियाणा की एक नई पहल

Vantara zoo

वनतारा से प्रेरणा लेकर हरियाणा की नई शुरुआत

Vantara zoo: हरियाणा सरकार अब अरावली पर्वतमाला में एक विश्वस्तरीय जंगल सफारी विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। यह परियोजना रिलायंस फाउंडेशन और रिलायंस ग्रुप द्वारा जामनगर (गुजरात) में स्थापित अत्याधुनिक पशु पुनर्वास केंद्र Vantara zoo से प्रेरित है। तेलंगाना के बाद, अब हरियाणा में यह योजना पर्यावरण संरक्षण, इको-टूरिज्म, और वन्यजीव पुनर्वास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तैयार की जा रही है।

वन विभाग की अगुवाई में परियोजना का संचालन

इस महत्वाकांक्षी योजना की जिम्मेदारी अब पर्यटन विभाग से हटाकर हरियाणा राज्य वन विभाग को सौंप दी गई है। विभाग देशभर के प्रमुख सफारी पार्कों के सर्वोत्तम उदाहरणों को ध्यान में रखते हुए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) की समीक्षा कर रहा है।

अरावली को बचाने का अंतिम प्रयास

हरियाणा के वन एवं पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह ने कहा है कि यह योजना खत्म हो रही अरावली पर्वत श्रृंखला को बचाने और संरक्षित करने का एक अंतिम प्रयास है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वनतारा की तरह अरावली सफारी भी एक अत्याधुनिक पशु पुनर्वास सुविधा होगी। इस सफारी में ऐसे मॉडल और रणनीतियों को अपनाया जाएगा जो वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में सबसे प्रभावी माने जाते हैं।

Vantara zoo से सीखने की प्रक्रिया

Vantara zoo जामनगर से प्रेरित होकर हरियाणा सरकार ने वहां की पुनर्वास पद्धतियों का गहराई से अध्ययन करने के लिए एक विशेष टीम भेजी है। यह टीम वनतारा के संचालन, पशु देखभाल, और पुनर्वास तकनीकों को समझकर अरावली परियोजना में उन्हें लागू करने के रास्ते तलाश रही है।

दुनिया की सबसे बड़ी जंगल सफारी का सपना

गुरुग्राम और नूंह जिलों के 18 गांवों में फैली यह परियोजना 10,000 एकड़ क्षेत्र में फैली होगी। इस सफारी को अफ्रीका के बाहर सबसे बड़े जंगल सफारी पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य इको-टूरिज्म को बढ़ावा देना, जैव विविधता का संरक्षण करना, और स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना है।

स्थानीय समुदायों को शामिल करने की रणनीति

पर्यावरण मंत्री ने बताया कि परियोजना के तहत पर्यटक सुविधाओं की योजना बनाई जा रही है, जिसमें स्थानीय समुदायों की भागीदारी, क्षरित भूमि की बहाली और स्थायी पर्यटन को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। ज़ोनिंग और प्राकृतिक आवासों पर न्यूनतम प्रभाव सुनिश्चित करने की रणनीतियाँ भी तैयार की जा रही हैं।

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पर्यावरणविदों की चिंता और आलोचना

हालांकि, इस परियोजना की कई पर्यावरणविदों ने आलोचना की है। वन्यजीव कार्यकर्ता वैशाली राणा चंद्रा ने चिंता व्यक्त की है कि यह योजना एक स्वाभाविक जंगल को चिड़ियाघर में बदल देगी और इससे अरावली का नाजुक पारिस्थितिक तंत्र खतरे में पड़ सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि इको-टूरिज्म का उपयोग केवल शोषण का एक नया माध्यम बन रहा है।

संरक्षण बनाम व्यावसायीकरण: एक संतुलन की आवश्यकता

पर्यावरणविदों का कहना है कि यदि संरक्षण का उद्देश्य सच में है, तो सरकार को अवैध खनन पर रोक, निर्माण मलबे की डंपिंग बंद, और बांधवाड़ी लैंडफिल को स्थानांतरित करने जैसे ठोस कदम उठाने चाहिए। वहीं, सरकार का दावा है कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य संरक्षण और इको-टूरिज्म के बीच संतुलन बनाना है।

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सरकार की प्रतिबद्धता और आश्वासन

वन मंत्री राव नरबीर ने भरोसा दिलाया है कि सरकार परियोजना में उठ रही चिंताओं को गंभीरता से ले रही है और सभी पारिस्थितिक पहलुओं का ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि परियोजना के केंद्र में स्थानीय समुदायों की भागीदारी और बंजर भूमि की बहाली होगी।

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